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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-2 - निर्देशन एवं परामर्श

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :232
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2709
आईएसबीएन :0

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बी.एड. सेमेस्टर-3 प्रश्नपत्र-2 - निर्देशन एवं परामर्श

प्रश्न- निर्धारण मापनी या रेटिंग स्केल से आपका क्या अभिप्राय है? इनकी मुख्य विशेषताओं तथा प्रकारों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।

उत्तर -

निर्धारण मापनी या रेटिंग स्केल का प्रयोग सरलता से व्यक्तित्व या चरित्र के विभिन्न पहलुओं का मापन करने के लिए किया जाता है। वैज्ञानिक और शिक्षाशास्त्रियों के अनुसार इसका अर्थ इस प्रकार से है-

गिलफोर्ड (1954) के अनुसार, - "वह सभी रेटिंग विधियाँ जिनमें वर्ग निर्णय होते हैं, सैद्धान्तिक रूप से Method of Successive Categories के अन्तर्गत आते हैं।"
बार, डेविस व जान्सन के शब्दों में, - "किसी परिस्थिति, वस्तु या व्यक्ति के सम्बन्ध में मत अथवा निर्णय देने की विधि को निर्धारण मापनी कहते हैं।"
जान डब्यू बेस्ट के अनुसार, - "निर्धारण मापनी किसी व्यक्ति के शील गुणों या वस्तु के सीमित पक्षों का गुणात्मक विवरण प्रस्तुत करती है।"

निर्धारण मापनी प्रायः दो अवधारणाओं पर आधारित है-

1. सातत्य की स्थिति
2. उस सातत्य का प्रतिनिधित्व

इस मापनी में एक व्यक्ति एक उद्दीपक के प्रति अपनी अभिव्यक्ति या निर्णय पूर्व निर्मित स्केल या विभिन्न श्रेणियों में से किसी बिंदु या श्रेणी पर देता है। निर्धारण मापनी को प्रायः तीन, पाँच, सात, नौ बिंदुओं में वर्गीकृत किया जाता है।

निर्धारण मापनी की विशेषताएँ

(i) इसमें अनेक उद्दीपनों का निर्धारण एक-एक करके सरलता और सफलतापूर्वक सम्पन्न किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त पदांकन विधि के अन्तर्गत ऐसे उद्दीपकों की संख्या का सीमित रहना अति आवश्यक होता है क्योंकि पदांकन के लिए यदि एक निश्चित सीमा के बाद उद्दीपकों की संख्या में वृद्धि होती है तब उसके पदांकनों का स्वरूप वैध न रह कर प्रायः मनमाना सा हो जाता है।

(ii) यह विधि दूसरी विधियों से सरल है। इसमें निर्णय लेने में समय की बचत होती है क्योंकि इसके अन्तर्गत सभी उद्दीपकों को पदांकन विधि की भांति एक साथ प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं पड़ती। इसमें विभिन्न उद्दीपकों को निर्धारक के सामने एक-एक करके रखा जाता है और निर्धारक को दिए गए स्केल के आधार पर (जो सामान्यतः तीन, पाँच, सात, नौ बिन्दु कुछ भी हो सकता है उसके प्रति इनमें से एक निश्चित स्थिति बिन्दु अथवा संवर्ग के लिए अपना विभेदक निर्णय प्रदान करना होता है।

(iii) इसमें निर्धारक के सामने एक उद्दीपक के प्रति निर्णय लेने के लिए एक निश्चित और सीमित संदर्भ परिधि ही रहती है। यह स्थिति उस स्थिति की अपेक्षा अधिक सुविधाजनक रहती है जबकि पदांकन की प्रक्रिया के अन्तर्गत दिए गए 25 या 30 उद्दीपकों को एक विशेष मापदण्ड के आधार पर एक साथ ही क्रमानुसार प्रस्तुत करना पड़ता है।

निर्धारण मापनी के प्रकार

(1) आंकिक या सांख्यिकी मापनी - इस प्रकार की मापनी में प्रयोज्य के सामने पूर्व विश्लेषित अंकों की तालिका प्रस्तुत कर उसे कहा जाता है कि वह अपने निर्णय को इस प्रस्तुत अंक तालिका के आधार पर उचित अंक प्रदान करें। यह अंक 1 से 11, 1 से 7, 1 से 5 तक हो सकते हैं। नीचे पाँच बिन्दु मापनी का एक उदाहरण है -

2709_03_103

 

इस मापनी की प्रमुख विशेषता है कि दो अन्तिम अंक (प्रथम और आखिरी) क्रमशः अनुकूल व अत्यन्त प्रतिकूल को दर्शाते हैं तथा बीच में अनिश्चय की स्थिति होती है। इसीलिए इससे प्राप्त परिणाम विश्वसनीय नहीं होते। माइकेल तथा हैलसन के अनुसार रेशियो स्केल तथा अन्तराल स्केल दोनों के गुण इस मापनी में होते हैं। क्योंकि यह मापनी दो ध्रुवीय सातत्य पर आधारित होती है। इसीलिए ऋणात्मक निर्धारण अंक नहीं देने चाहिए। बहुधा यह देखा गया है कि निर्धारण मापनी के अन्तिम छोरों का उपयोग बहुत कम करता है।

(2) ग्राफ मापनी - इस प्रकार की मापनी का उपयोग बहुत अधिक होता है। इसकी पंक्ति खड़ी या पड़ी किसी भी प्रकार की हो सकती है। इस प्रकार की मापनी में प्रत्येक बिन्दु पर संक्षिप्त निर्देशित कथन होते हैं, अतः प्रयोज्य निर्णय सरलता से ले सकता है। इस प्रकार की मापनी और आंकिक मापनी में अन्तर यह है कि इसमें प्वाण्ट स्केल की व्याख्या की गई है जबकि आंकिक मापनी में केवल प्वाण्ट स्केल होता है उसकी व्याख्या नहीं होती। उदाहरण के लिए- उसका चिन्तन कैसा है - बहुत धीरे-धीरे, सामान्य, तीव्र, अतितीव्र।

(3) स्तर या प्रामाणिक मापनी - इस प्रकार की मापनी में निर्धारक के सामने एक वर्ग सूची, जो कि शाब्दिक संकेतों के स्थान पर होती है उसको प्रस्तुत किया जाता है। यह दो प्रकार की होती है -

(i) व्यक्ति-व्यक्ति मापनी - इस मापनी में निर्धारक को 10 से 25 तक उन व्यक्तियों के नाम लिखने होते हैं जिन्हें वह जानता है। फिर निर्धारक शीलगुणों के आधार पर इन व्यक्तियों को पदांक प्रदान करता है और औसत निकाल कर उच्च पदांक पाने वाले को मापनी में उच्च स्थान तथा निम्न पदांक पाने वाले को मापनी में निम्न स्थान दिया जाता है। मध्य का पदांक पाने वाले व्यक्ति को मापनी में मध्य का स्थान दिया जाता है। इस प्रकार मापनी में दूसरे और चौथे स्थान भी दिए जाते हैं। इस प्रकार पाँच बिन्दु मापनी तैयार हो जाती है। इसका विकास सैनिकों के लिये किया गया है। सैनिकों के अतिरिक्त किसी और व्यक्ति पर इसका प्रयोग कम है।

(ii) चित्र तुलना - इस मापनी का विकास हार्टशोर्न तथा में ने किया। यहाँ पोटैट का अर्थ शाब्दिक चित्रों से है। इस मापनी में किसी शील गुण के सम्बन्ध में शाब्दिक कथनों का संग्रह किया जाता है फिर प्रत्येक कथन को एक अलग कार्ड पर लिख लिया जाता है। फिर सात निर्णायक इन कार्डों को पदांक देते हैं। औसत पदांकों के आधार पर दस चित्र - तुलनांक (कथन) छाँट लिए जाते हैं। इन दस चित्र - तुलनाओं को 48 निरीक्षकों के द्वारा पदांक करवाने के बाद अन्तिम मापन चित्र मध्यमान के आधार पर तैयार कर लिया जाता है

(4) संचित अंक से रेटिंग - यह दो प्रकार की होती है-

(i) चिन्हांकन सूची विधि - इस विधि में सूचनादाता को उत्तर देने की स्वतंत्रता नहीं होती। इसमें सम्बन्धित समस्या अनेक तथ्य, परिवर्ती या स्थिति दी होती है तथा सूचनादाता को केवल चिन्हित करना होता है कि कौन-कौन से तथ्य या अन्य अंग उपस्थित हैं। सूचनादाता को दिए गए प्रपत्र पर किसी प्रकार का मूल्यांकन या निर्णय नहीं देना पड़ता बल्कि इसके आधार पर तथ्यों को अंकित करना होता है। सूचनादाता को इसमें 'हाँ' या 'नहीं' उत्तर देने या सही के निशान (V) लगाने को कहा जाता है अर्थात् चेकलिस्ट के items बहुगुण पसन्द पर आधारित होते हैं न कि सत्य और असत्य प्रकार पर इनका स्केल के रूप में भी उपयोग किया जा सकता है तथा अंक भी प्रदान किए जा सकते हैं।

(ii) बूझौ कौन विधि - इस विधि का विकास हार्टशोर्न तथा मे (1922) ने बच्चों के लिए किया परन्तु बड़े व्यक्तियों का अध्ययन भी इसमें सम्भव है। इस विधि में प्रयोज्य या रेटर को उसके समूह के सभी सदस्यों की एक सूची दे दी जाती है तथा रेट करने वाले बच्चे से कहा जाता है कि वह इस सूची में दिए हुए विवरण के अनुसार रेट करे।

(5) बाह्य चयन मापनी - इस विधि को फौजियों की श्रेणीबद्धता के लिए विकसित किया गया। इसमें रेटर (निर्णायक) को यह बताना होता है कि कौन सी विशेषता एक व्यक्ति की अपेक्षा दूसरी व्यक्ति में अधिक है। इन गुणों में से एक मापित विशेषता के लिए वैध होता है और दूसरा वैध नहीं होता है। दोनों ही गुण व्यक्ति को प्रायः समान रूप से वांछित या अवांछित प्रतीत होते हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- निर्देशन का क्या अर्थ है? निर्देशन की प्रमुख विशेषताओं तथा क्षेत्र पर प्रकाश डालिए।
  2. प्रश्न- निर्देशन के महत्वपूर्ण उद्देश्य कौन-कौन से हैं? विवेचना कीजिए।
  3. प्रश्न- निर्देशन के मूल सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  4. प्रश्न- निर्देशन की आवश्यकता से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक एवं सामाजिक दृष्टिकोण से निर्देशन की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
  5. प्रश्न- "व्यावसायिक निर्देशन शैक्षिक निर्देशन पर प्रभुत्व रखता है।" स्पष्ट कीजिये एवं इस कथन का औचित्य बताइये।
  6. प्रश्न- निर्देशन के प्रमुख सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  7. प्रश्न- निर्देशन की आधुनिक प्रवृत्तियाँ क्या हैं?
  8. प्रश्न- निर्देशन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- निर्देशन के विषय क्षेत्र पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  10. प्रश्न- निर्देशन तथा शिक्षा में कौन-कौन से मुख्य अन्तर हैं? स्पष्ट कीजिए।
  11. प्रश्न- निर्देशन के कार्य क्या हैं?
  12. प्रश्न- निर्देशन की प्रकृति का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- भारत में निदर्शन की समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
  14. प्रश्न- "समृद्ध भारत के लिये निर्देशन सेवाओं की अत्यधिक आवश्यकता है।" विभिन्न परिप्रेक्ष्य में इस कथन की विवेचना कीजिए।
  15. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श के मध्य सम्बन्ध स्थापित कीजिए।
  16. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? शैक्षिक निर्देशन की आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
  17. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के मुख्य उद्देश्यों तथा शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक निर्देशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर शैक्षिक निर्देशन के स्वरूपों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- व्यक्तिगत निर्देशन किसे कहते हैं? व्यक्तिगत निर्देशन के स्वरूप एवं महत्त्व का वर्णन कीजिए।
  20. प्रश्न- शिक्षा के विभिन्न स्तरों पर व्यक्तिगत निर्देशन के उद्देश्यों या कार्यों का वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? इसके महत्त्व और आवश्यकता को स्पष्ट कीजिए।
  22. प्रश्न- छात्रों के व्यावसायिक निर्देशन में विद्यालय क्या भूमिका निभा सकता है?
  23. प्रश्न- "व्यक्तिगत निर्देशन, निर्देशन का मूलाधार है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  24. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के प्रमुख सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  26. प्रश्न- शैक्षिक और व्यावसायिक निर्देशन में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
  27. प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन की शिक्षा के क्षेत्र में क्यों आवश्यकता है? स्पष्ट कीजिए।
  28. प्रश्न- व्यक्तिगत निर्देशन किसे कहते हैं? इसके मुख्य उद्देश्य बताइए।
  29. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन के सिद्धान्त क्या है स्पष्ट कीजिए।
  30. प्रश्न- शैक्षिक निर्देशन से आप क्या समझते हैं? इसकी उपयोगिता का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- सूचना सेवा से आप क्या समझते हैं? सूचना सेवाओं के उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- सूचना सेवा की कार्य विधि का वर्णन कीजिए।
  33. प्रश्न- नियोजन सेवा से आप क्या समझते हैं? विद्यालय के नियोजन सम्बन्धी कार्यों एवं उत्तरदायित्वों पर प्रकाश डालिए।
  34. प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में कौन-कौन से कर्मचारी भाग लेते हैं? प्रधानाचार्य एवं अध्यापक की निर्देशन सम्बन्धी भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  35. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में अभिभावक एवं वार्डेन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- किसी विद्यालय के निर्देशन सेवा के संगठन की आधारभूत आवश्यकताओं का उल्लेख कीजिए।
  37. प्रश्न- निर्देशन सेवा में विद्यालय स्तर पर कार्यरत प्रमुख व्यक्तियों की भूमिका का विस्तारपूर्वक उल्लेख कीजिए।
  38. प्रश्न- अनुवर्ती सेवाओं से आप क्या समझते हैं? इसका क्या प्रयोजन है? अध्ययनरत छात्रों के लिए अनुवर्ती सेवाओं की विवेचना कीजिए।
  39. प्रश्न- छात्र सूचना या वैयक्तिक अनुसूची सेवा से आपका क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
  40. प्रश्न- सूचना सेवा की आवश्यक सामग्री का उल्लेख कीजिए।
  41. प्रश्न- नियोजन सेवा के विभिन्न चरणों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- परामर्श सेवा पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  43. प्रश्न- सूचना सेवा कितने प्रकार की होती है? विवेचना कीजिए।
  44. प्रश्न- व्यावसायिक निर्देशन में आवश्यक सूचनाओं को बताइए।
  45. प्रश्न- व्यक्ति निर्देशन में आवश्यक सूचना को बताइये।
  46. प्रश्न- भारत में व्यवसाय से सम्बन्धित सूचनाओं के प्रमुख स्रोत क्या हैं?
  47. प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में परिवार की क्या भूमिका होती है?
  48. प्रश्न- अनुकूलन सेवा से आपका क्या अभिप्राय है? इसकी आवश्यकता के क्या कारण हैं? स्पष्टतया समझाइये।
  49. प्रश्न- उपचारात्मक सेवाओं से आप क्या समझते हैं?
  50. प्रश्न- अनुवर्ती अध्ययन की समस्याएँ एवं समाधान का वर्णन कीजिए।
  51. प्रश्न- भूतपूर्व छात्रों का अनुवर्ती अध्ययन क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  52. प्रश्न- भूतपूर्व छात्रों के अनुवर्ती अध्ययन की विधियों का वर्णन कीजिए।
  53. प्रश्न- कृत्य विश्लेषण एवं कृत्य संतोष में क्या सम्बन्ध है?
  54. प्रश्न- विद्यालयों में निर्देशन सेवाओं से आप क्या समझते हैं? विद्यालय निर्देशन- सेवाओं के संगठन के प्रचलित सिद्धान्तों का उल्लेख कीजिए।
  55. प्रश्न- माध्यमिक स्तर पर निर्देशन सेवाओं के संगठन का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- विद्यालय निर्देशन सेवा के प्रमुखं कार्य कौन-कौन से हैं? प्राथमिक तथा सैकेण्ड्री स्कूल स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम संगठन के उद्देश्यों तथा कार्यों की विवेचना कीजिए।
  57. प्रश्न- विद्यालयी निर्देशन सेवाओं के संगठन की मुख्य संकल्पनाएँ क्या हैं? इसकी आवश्यकता व क्षेत्र क्या है? वर्णन कीजिए।
  58. प्रश्न- वर्णन कीजिए कि आप एक शिक्षक के रूप में माध्यमिक स्तर पर निर्देशन कार्यक्रम को किस प्रकार से संगठित करेंगे?
  59. प्रश्न- विद्यालय निर्देशन सेवा द्वारा किये जाने वाले मुख्य कार्यों की विवेचना कीजिए।
  60. प्रश्न- विद्यालय की निर्देशन संगठन सेवा का क्या अर्थ है? स्पष्ट कीजिए।
  61. प्रश्न- विद्यालय में निर्देशन सेवाओं के सफल संगठन के लिए किन-किन मुख्य बातों को ध्यान में रखना आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  62. प्रश्न- विद्यालय में निर्देशन कार्यक्रमों के सफल संचालन हेतु किन-किन कर्मचारियों की आवश्यकता होती है? स्पष्ट कीजिए।
  63. प्रश्न- निर्देशन सेवाओं के विभिन्न रूपों तथा सिद्धान्तों को संक्षिप्त रूप में बताइए।
  64. प्रश्न- निर्देशन में मूल्यांकन के महत्व की विवेचना कीजिए।
  65. प्रश्न- निर्देशन में मूल्यांकन के सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  66. प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श के उद्देश्य तथा सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  67. प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श की आवश्यकता तथा महत्व का वर्णन कीजिए। अथवा छात्र परामर्श की आवश्यकता बताइये।
  68. प्रश्न- परामर्श की प्रक्रिया को समझाइए।
  69. प्रश्न- एक अच्छे परामर्शदाता के कार्यों का उल्लेख कीजिए।
  70. प्रश्न- परामर्श से आपका क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
  71. प्रश्न- परामर्श और निर्देशन में कौन-कौन से मुख्य अन्तर पाए जाते हैं? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- एक अच्छे परामर्शदाता में कौन-कौन से गुणों का होना आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
  73. प्रश्न- परामर्श से सम्बन्धित प्रमुख परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
  74. प्रश्न- परामर्श के उद्देश्यों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
  75. प्रश्न- "एक परामर्शदाता के लिये समूह गतिशीलता का ज्ञान होना आवश्यक है।" स्पष्ट कीजिए।
  76. प्रश्न- धर्म-परामर्श में सह-सम्बन्ध बताइये।
  77. प्रश्न- व्यक्तिवृत्त-अध्ययन विधि से आप क्या समझते हैं? इसके गुणों का वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- संचित अभिलेख पत्र क्या है? संचित अभिलेख पत्र की विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं? इस पत्र की उपयोगिता की व्याख्या कीजिए।
  79. प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि से आप क्या समझते हैं? साक्षात्कार प्रविधि के मुख्य तत्त्वों विशेषताओं एवं उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  80. प्रश्न- निर्धारण मापनी या रेटिंग स्केल से आपका क्या अभिप्राय है? इनकी मुख्य विशेषताओं तथा प्रकारों की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  81. प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि के कितने प्रकार हैं? अनिर्देशित साक्षात्कार प्रविधि के लाभ एवं सीमाएँ बताइए।
  82. प्रश्न- संचित अभिलेख पत्र के निर्माण के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  83. प्रश्न- व्यक्तिवृत्त अध्ययन प्रविधि की सीमाओं का वर्णन कीजिए।
  84. प्रश्न- साक्षात्कार प्रविधि के गुणों का वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- क्रम निर्धारण प्रविधि या निर्धारण मापनी को परिभाषित कीजिए।
  86. प्रश्न- साक्षात्कार विधि के मुख्य उपयोगों के बारे में संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- निरीक्षण या अवलोकन के अर्थ तथा परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट करें।
  88. प्रश्न- निरीक्षण या अवलोकन प्रविधि के दोषों पर प्रकाश डालिए।
  89. प्रश्न- प्रश्नावली प्रविधि के अर्थ तथा परिभाषाओं को संक्षेप में स्पष्ट कीजिए।
  90. प्रश्न- क्रम निर्धारण प्रविधि की कमियों या सीमाओं पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  91. प्रश्न- संचयी आलेख का अर्थ बताइए।
  92. प्रश्न- परामर्श प्रदान करने की मुख्य प्रविधियाँ कौन-कौन सी हैं? निर्देशीय तथा अनिर्देशीय परामर्श की प्रविधियों की मुख्य धारणाओं, सोपानों तथा लाभ एवं कमियों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- परामर्श की प्रमुख प्रविधियाँ कौन-कौन सी हैं? निर्देशन और परामर्श में साक्षात्कार प्रविधि क्यों अधिक उपयोगी सिद्ध हुई है? स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- समन्वित परामर्श से आप क्या समझते हैं? समन्वित परामर्श की मुख्य धारणाओं, लाभों तथा कमियों एवं सीमाओं का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- परामर्श क्या है? परामर्श तथा निर्देशन में क्या अन्तर है? स्पष्ट कीजिए।
  96. प्रश्न- निर्देशन के साधन क्या हैं?
  97. प्रश्न- निर्देशात्मक परामर्श की प्रमुख विशेषताओं और सीमाओं पर प्रकाश डालिए।
  98. प्रश्न- अनिदेशात्मक परामर्श से क्या तात्पर्य है? अनिदेशात्मक परामर्श की मूल धारणाओं का उल्लेख कीजिए।
  99. प्रश्न- निर्देशीय तथा अनिर्देशीय परामर्श में कौन-कौन से मुख्य अन्तर पाए जाते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  100. प्रश्न- अनिर्देशीय परामर्श की विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- अनिर्देशीय परामर्श के मुख्य कार्यों को संक्षेप में बताएँ।
  102. प्रश्न- समन्वित परामर्श मुख्य चरणों या पदों को संक्षिप्त रूप में स्पष्ट कीजिए।
  103. प्रश्न- निर्देशीय परामर्श के मुख्य चरण या सोपान कौन-कौन से हैं? स्पष्ट कीजिए।
  104. प्रश्न- परामर्श के किसी एक उपागम का वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- परामर्शदाता की विशेषताओं, गुणों तथा व्यावसायिक नीतिशास्त्र का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- परामर्शदाता की भूमिका का उल्लेख कीजिए।
  107. प्रश्न- परामर्शदाता में किस प्रकार का अनुभव होना आवश्यक है, बताइये।
  108. प्रश्न- परामर्शदाता का प्रशिक्षण कार्यक्रम बताइये।
  109. प्रश्न- निर्देशन कार्यक्रम में परामर्शदाता की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  110. प्रश्न- परामर्शदाता के व्यक्तित्व सम्बन्धी विशेषकों का उल्लेख कीजिए।
  111. प्रश्न- क्रो एवं क्रो के अनुसार परामर्शदाताओं के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  112. प्रश्न- परामर्शार्थी और परामर्शदाता के पारस्परिक सम्बन्धों को स्पष्ट कीजिए।
  113. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की आवश्यकता बताइए तथा निर्देशन केन्द्रों के उद्देश्य भी बताइए।
  114. प्रश्न- भारत में निर्देशन एवं परामर्श की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  115. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों के कार्य बताइए।
  116. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श केन्द्रों की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  117. प्रश्न- बुद्धि से आप क्या समझते हैं? बुद्धि के प्रकार, विशेषताएँ एवं सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
  118. प्रश्न- बुद्धि के मापन से आप क्या समझते हैं? बुद्धि परीक्षणों के प्रकार का वर्जन करते हुए बुद्धिलब्धि को कैसे ज्ञात किया जाता है? स्पष्ट कीजिए।
  119. प्रश्न- शिक्षा और निर्देशन में बुद्धि परीक्षणों की उपयोगिता की विवेचना कीजिए।
  120. प्रश्न- रुचि क्या है? रुचि की महत्वपूर्ण विशेषताओं और प्रकारों का वर्णन कीजिए।
  121. प्रश्न- अभिवृत्ति का क्या अर्थ है? अभिवृत्ति परीक्षण का वर्णन कीजिए।
  122. प्रश्न- 'रुचि आविष्कारिकाएँ' क्या मापन करती हैं? कम से कम दो रुचि आविष्कारिकाओं का नाम बताइए।
  123. प्रश्न- बुद्धि कितने प्रकार की होती है? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  124. प्रश्न- बुद्धि की मुख्य विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं? स्पष्ट कीजिए।
  125. प्रश्न- बुद्धि के अर्थ तथा स्वरूप पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
  126. प्रश्न- रुचि का अर्थ एवं परिभाषा दीजिए।
  127. प्रश्न- रुचियों के मुख्य प्रकार कौन-कौन से हैं? संक्षेप में बताइये।
  128. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में रुचि सूचियों के लाभ का वर्णन कीजिए।
  129. प्रश्न- रुचि-सूचियों की कमियां या दोषों का उल्लेख कीजिए।
  130. प्रश्न- अभिवृत्ति के वर्गीकरण का वर्णन कीजिए।
  131. प्रश्न- अभिवृत्ति से आप क्या समझते हैं? इसकी विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  132. प्रश्न- भारतवर्ष में रुचि मापन के कार्यों पर प्रकाश डालिये।.
  133. प्रश्न- निर्देशन सेवाओं में कौन-कौन से कर्मचारी भाग लेते हैं? प्रधानाचार्य एवं अध्यापक की निर्देशन सम्बन्धी भूमिका की विवेचना कीजिए।
  134. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श में अभिभावक एवं वार्डेन की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  135. प्रश्न- विशिष्ट बालकों से क्या अभिप्राय है? उनकी क्या विशेषताएँ हैं? पिछड़े बालकों की शिक्षा एवं समायोजन के लिये निर्देशन व परामर्श का एक कार्यक्रम तैयार कीजिए।
  136. प्रश्न- निर्देशन एवं परामर्श कर्मचारी वर्ग के रूप में प्रधानाचार्य की भूमिका की विवेचना कीजिए।
  137. प्रश्न- विशिष्ट बालकों को निर्देशन व परामर्श देते समय क्या सावधानियाँ रखी जानी चाहिये? वर्णन कीजिए।
  138. प्रश्न- चिकित्सा कर्मचारी किस प्रकार निर्देशन प्रक्रिया में योगदान देते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  139. प्रश्न- निर्देशन प्रक्रिया में शारीरिक शिक्षक के कार्यों का वर्णन कीजिए।
  140. प्रश्न- निर्देशन कार्यक्रम में परामर्शदाता की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  141. प्रश्न- प्रधानाचार्य के निर्देशन सम्बन्धी उत्तरदायित्वों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  142. प्रश्न- निर्देशन में शिक्षक की भूमिका क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  143. प्रश्न- शिक्षा के क्षेत्र में मनोचिकित्सक की भूमिका बताइये।

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